*हर ऑंगन हो उठे प्रकाशित तम को हरते-हरते (मुक्तक)* _____________________________
हर ऑंगन हो उठे प्रकाशित तम को हरते-हरते (मुक्तक) ______________________________
सजे थाल में सौ-सौ दीपक जगमग-जगमग करते
उजियारा कर रहे हृदय में हर्ष अपरिमित भरते
इन दीपों का प्रखर उजाला यों फैले जग-भर में
हर ऑंगन हो उठे प्रकाशित तम को हरते-हरते
**********************************
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451