हर उरूज़ का ज़वाल होता है
21 22(11) + 1212 + 22
चन्द रोज़ ही धमाल होता है
हर उरूज़ का ज़वाल होता है
ये परिन्दे को क्या ख़बर यारो
हर उड़ान पे सवाल होता है
छीन लो हक़ अगर नहीं देंगे
इंक़लाब पे बवाल होता है
झूठ को सब पिरोये सच कहके
हर जगह यह कमाल होता है
हर सुबह चमकता ये सूरज भी
शाम को क्यों निढाल होता है
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उरूज़—बुलंदी, उन्नति, तरक़्क़ी, ऊँचाई, उत्कर्ष, उत्थान, उठान।
ज़वाल—पतन, गिरावट, अवनति, उतार, घटाव, ह्रास।
इंक़लाब—क्रान्ति, बदलाव, परिवर्तन।
बवाल—बोझ, भार, विपत्ति; या भीड़ द्वारा की गई तोड़-फोड़, मार-पीट आदि।