हरषे धरती बरसे मेघा…
विषय -हरषे धरती बरसे मेघा
विद्या -गीत
मां की गोद में
जैसे मचले बच्चा
ऐसे ही हरषे धरती बरसे मेघा
पत्ता पत्ता नहा उठा
काली काली का फूल खिला
सुगंधी धरती महक रही
मेरा घर आंगन चहक उठा ।
हरषे धरती बरसे मेघा…
उमड उमड बादल गरजा
अंधियारा छाने लगा
चलने लगी ठंडी हवा
खुशबू से मन महक उठा।
हरषे धरती बरसे मेघा….
बच्चों की टोली आई
साथ में पतंग लाई
रंग-बिरंगी पतंग उड़ा रहे
देख उनको मन हर्षित है
कैसा सुहाना पर लाया।
हरषे धरती बरसे मेघा….
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी )
मौलिक रचना