हरेक दिन अमावस
जल रहे है दिए
घरों में रौशनी फैलाए,
चारों ओर खुशी की रौनक
मन हर्षोल्लास पूर्ण सबके;
लेकिन फिर भी कहीं
किसी कोने में है अंधेरे,
न जलता दिया न खुशी
सोए है गम की चादर ओढ़े;
वक्त नहीं किसीके पास आज
सोचे जो कोई उनके बारे में,
मदमस्त है सभी यहाँ पर
खोए हुए है अपने दुनिया में;
दोष देकर अपने किस्मत को
वे बदकिस्मत खुद को कोसते,
उनके लिए हरेक दिन अमावस
अंधेरा छाया रहता है घरों में ।