हरि से मांगो,
यदि मांगो तो हरि से मांगो,
मानव से क्या कहना।
जिस हालत में केशव राखें,
सत्य वचन कह रहना।
जग में आये निज करमन बस,
जो बोया सो पाया।
अपने अपने भाग्य के कारण,
रोया या हरषाया।
एक भाई घर कार दौड़ती,
दूजा गाय चराये।
देश विदेश को कोई जाए
किसी का मन मुरझाये ।
वर्षा सूरज गर्मी सर्दी
जो आये सब सहना यदि
मांगो तो हरि से मांगो,
मानव से क्या कहना ।
कोई परेशान भूख से,
कुछ को भूख न लागे ।
कोई दौड़े रोटी खातिर,
कोई रोटी से भागे ।
सकल पदार्थ घर भरा,
लेकिन खा न पाएं।
दूजा भूख तृप्ति बरे,
घर घर माँगन जाएं।
कोई पाता मामूली कोई,
मलमल रेशम पहना।
यदि मांगो तो हरि से मांगो,
मानव से क्या कहना
सतीश सृजन