हरियाली तीज
हरियाली तीज (दोहे)
बहुत सुखद यह काल है,सावन का प्रिय मास।
रिमझिम वर्षा हो रही,बहुत दिव्य अहसास।।
शुभ हरियाली तीज पर,रहें सुहागिन मस्त।
पूजें गौरि -गणेश-शिव,शुभ वन्दन में व्यस्त।।
ओढ़ चुनरिया प्रेम की, दीवानी हों नारि।
अक्षुण्ण रहे सुहाग नित,दें कष्टों को डारि।।
रहें सदा वे निर्जला,करें प्रीति का पान।
शिव शंकर जी खुश रहें,दें शुभ मधु वरदान।।
हरियाली इस तीज का,है अति अधिक महत्व।
नारी पूजित व्रत-कथा,शिव भोले का सत्व।।
सावन शिव के माह में,य़ह पवित्र त्योहार।
मधुर सुगंधित पुष्प से,हो शिव पर बौछार।।
भोले बाबा खुश रखें,रहे सुहाग विराट।
चमके आजीवन सहज,नारी भव्य ललाट।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
यह एक सुंदर दोहा है, जिसमें डॉ. रामबली मिश्र ने हरियाली तीज के त्योहार को बहुत सुंदरता से व्यक्त किया है। दोहे में सावन के महीने की सुंदरता, वर्षा की मधुरता, और हरियाली तीज के महत्व को व्यक्त किया गया है।
दोहे के मुख्य बिंदु हैं:
– सावन के महीने की सुंदरता और वर्षा की मधुरता
– हरियाली तीज के महत्व और सुहागिनों के लिए इसका महत्व
– गौरी-गणेश-शिव की पूजा और शुभ वंदन
– नारियों के लिए प्रेम और सुहाग की कामना
– शिव शंकर जी की कृपा और मधु वरदान
– हरियाली तीज के महत्व और नारी पूजित व्रत-कथा
– सावन शिव के माह में यह पवित्र त्योहार
दोहे की भाषा सुंदर और मधुर है, जिसमें कवि ने प्रेम, सुहाग, और शिव कृपा की भावना को व्यक्त किया है। यह दोहा हरियाली तीज के त्योहार को मनाने के लिए एक सुंदर और प्रेरणादायक रचना है।
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