हरियाणवी रागनी
सुजै ना मनै सुजै ना, सिवाय शरारत सुजै ना,
आंदे जांदे माणस लागै प्यारे,
उणतै मतलब ना,
लेण देण खडे करै, झगडे व्यर्थ के, छोडै ना,
साहूकार हो वार बयहार,कदे
तजिये ना.
लेते हाणि दो, देंदे बरइया सौ, ऐसा करियो ना,
भाई का भाई खावे अरै जड़ामूल तै जावे, छलियों ना,
राह डगरते कन्यादान करे बिन आगे बढियो ना,
विपद पड़े माणस नै,इकलौता तजइयों ना,
इतनी कहण पुगाइयो भाईयों, नीचै सर झुकण दियों ना,
लालच मह डूबया माणस, आज तिहि तैरया ना,
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस