हम हैं अकेले जग में , कोई नहीं हमारा
हम हैं अकेले जग में , कोई नहीं हमारा
बस नाम का तुम्हारे , भगवान है सहारा
जो छोड़ते न हिम्मत, वो डूबते नहीं हैं
विश्वास जिनका’ खुद पर, मिलता उन्हें किनारा
ये सोच कर हमारी, आंखों में कुछ नमी है
जो साल जा रहा है,आएगा न दुबारा
मालूम था हमें सुख दुख साथ साथ चलते
गम का समय तभी तो, हँसते हुए गुज़ारा
बहते हैं ‘अर्चना’ सँग, ये सत्य जानकर भी
ले जाएगी कहाँ पर हमको समय की धारा
दिग्पाल छंद पर आधारित
02-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता