हम बिखर गए यारो
वो आईना भी टूट गया जिन्हें संभाला ना गया
हम बिखर गए यारो हमसे वह भुलाया न गया
मुरझा गए पत्ते फिर शाखो से टूटे बिखर गया
उन्हें मोहब्बत ही नहीं था तभी तो निखर गया
मौसम है सुहाना प्रकृति की स्वरूप देख भाया
सुंदरता देख कर लगे जैसे सुंदर तनमन काया
पेड़ की डाली पेड़ के पत्ते भी खिलते ही गया
बसंत संग हरियाली आई दिल मिलते ही गया
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)