हम पथिक तू पथ निर्माता है
शिक्षक शिक्षा को देकर हर लेता अज्ञान अंधकार है,
शिक्षक स्वरूप उस परम्ब्रह्म का जो साकार निरंकार है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
अपने चरणॉ की प्रीति दो प्रभु,
सच्चे ज्ञान की नीति दो प्रभु,
हैं मार्ग से भटके बुद्धि सहित,
तेरे चरणॉ में है जग सार निहित,
तू बुद्धि को सच्चा पथ दिखलाता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
नही सम्भव है तू दुत्कार दे मुझको,
मेरा कोटि कोटि नमस्कार है तुझको,
प्रभु चरणो से दूर न रखना कभी,
मेरे मस्तक से हाथ हटे तेरा ना कभी,
तेरा हमसे युगो पुराना पावन नाता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
है कोमल चित निर्मल मन तेरा,
चरणॉ में रख सफल हो जीवन मेरा,
ज्ञान ज्योति जो है बुझी बुझी,
तेल भी तू बाती भी तू ही,
तू मन मंदिर में सत्य ज्ञान का दीप जलाता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
नहीं भेद भाव है तेरे मन में,
परहितकारी है तू निज जीवन में,
तू प्रेम ह्र्दय का सागर है,
गुण ज्ञान बुद्धि का गागर है,
तू सूने ह्रदय में प्रेम कि ज्योति जलाता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
है प्रणाम गोपाल का बारम्बार तुझे,
दे दे प्रेम ज्ञान का भण्डार मुझे,
मोह माया से तू ऊबार मुझे,
चरित्र ज्ञान से संवार मुझे,
हम पथिक तू पथ निर्माता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
दे अशीष जग में सम्मान मिले,
मुझको अपनी इक पहचान मिले,
शांतिमय अजातशत्रु सा मान मिले,
जग में मानवहितकारी काम करे,
हे प्रभु ! तू सृष्टि से भेद भाव मिटाता है,
शिक्षक तू जन जीवन का निर्माता है,
शिक्षक तू जन राष्ट्र का भाग्य विधाता है,
– — गोपाल दूबे