Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2022 · 1 min read

हम-तुम

गीत/कविता/नज़्म: हम-तुम

1.
एक तुम्हारे होने भर से, क्या से क्या हो जाता हूं।
खुद ही खुद से मिलता हूं, और खुद में ही खो जाता हूं।।

2.
तुम मेरी परछाईं सी हो, मुझमें हरदम रहती हो।
साथ तुम्हारे उठता हूं, और साथ में ही सो जाता हूं।।

3.
हां किंतु ये भी सच है, हम दोनो नहीं बराबर है।
पर तुम साथ तो देकर देखो, क्या‌‌ से क्या हो जाता हूं।।

4.
अब कुछ बचा नहीं हो लेकिन, फिर भी यादों में सब है।
खुद से कर के बात तुम्हारी, खुद ही खुश हो जाता हूं।।

5.
सुना है हमने कहते हैं सब, मोहन कहता नहीं अभी कुछ ।
जो कुछ कहना होता है अब, गीत बनाकर गाता हूं।।

-मोहन

Language: Hindi
2 Likes · 267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
VEDANTA PATEL
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
सौरभ पाण्डेय
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
खुशियों की आँसू वाली सौगात
खुशियों की आँसू वाली सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ओ लहर बहती रहो …
ओ लहर बहती रहो …
Rekha Drolia
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"मयखाना"
Dr. Kishan tandon kranti
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
दिखाना ज़रूरी नहीं
दिखाना ज़रूरी नहीं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
निर्मोही हो तुम
निर्मोही हो तुम
A🇨🇭maanush
2499.पूर्णिका
2499.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
Anand Kumar
ख़्वाब
ख़्वाब
Monika Verma
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
Dr Archana Gupta
जल खारा सागर का
जल खारा सागर का
Dr Nisha nandini Bhartiya
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
Phool gufran
आशा
आशा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
पूर्वार्थ
विदंबना
विदंबना
Bodhisatva kastooriya
मौसम ने भी ली अँगड़ाई, छेड़ रहा है राग।
मौसम ने भी ली अँगड़ाई, छेड़ रहा है राग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
राखी
राखी
Shashi kala vyas
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
Sangeeta Beniwal
*कभी अच्छाई पाओगे, मिलेगी कुछ बुराई भी 【मुक्तक 】*
*कभी अच्छाई पाओगे, मिलेगी कुछ बुराई भी 【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
ruby kumari
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रसों में रस बनारस है !
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...