हम कुछ भी नही…
हम उस किताब की तरह है,
जो किमती तो बहुत है,
पर बिकती नही,
लिखा भी उसमे खूब है,
पर दिखने में कोरी है,
खुशी तो देती है पर,
आईना दिखा कर रूलाती भी है,
सुबह के अखबार की तरह कीमती तो है
पर शाम के समय रद्दी भी,
सभी हमे,
अपने समय और काम के अनुसार चाहते है,
वरना हम कुछ भी नही…..