” हमें लोगों से जुड़ना है “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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आज अपने ही लिखे हुए व्याक्यों का विश्लेषण करने का अवसर आ गया ! हम कभी -कभी क्षिप्रता के पग को भरते- भरते अपने पद्तलों से कितने दिलों को आघात करते हैं और उसकी कराहने की आवाज को नजर अंदाज करते हुए मदमस्त हाथिओं की भांति हम आगे बड जाते हैं ….. और पीछे छोड़ जाते हैं आघातों का मंजर ! हम कभी -कभी कितने कठोर बन जाते है जब कुछ ऐसी अनसुलझी बातों और व्याक्यों के प्रहारों से लोगों को आहत तो कर जाते हैं पर हम प्रथिमिक उपचार की विधिओं का प्रयोग करते नहीं हैं और ना करना चाहते हैं !…… प्रथम,……. हम गलतियां करते हैं पर सुधारने की चेष्टा करना अपना अपमान समझते हैं ! …गलतियाँ किस से नहीं होती है ?…..द्वितीय,……कभी -कभी फेस बुक ,कमेंट और अपने ब्लोगों में कुछ ऐसे मसालों का प्रयोग हो जाता है कि व्यंजन के स्वाद ही कुछ अटपटे लगने लगते हैं !….. जिस चीज का प्रयोग हम नहीं करते हैं ..शायद उन्हें चाहने वाले करोड़ों हों !…. और हम प्रतिक्रिया झट से दे डालते हैं ….” मैं इन चीजों से घृणा करता हूँ “…..!…और तृतीय …..हम आत्म मंथन नहीं करते और ना हमें कोई इंगित ही करता है !….. हम उन तमाम मित्रों ,….लेखकों ,….कवियों ,….साहित्यकारों ,……वरिष्ठों …..और ……कनिष्ठों से मेरा निवेदन है कि जब कभी हम अपने शालीनता के पगडण्डी से फिसलने लगे तो हमें अवश्य सम्भाल लें !…..आज पहले हमने लिखा ,……..’ हम आपको पढ़ना चाहते हैं ,दूसरे के विचारों को नहीं@लक्ष्मण”……फिर हमने अपने को खुद संम्भाला !….. मेरे मन मंदिर की घंटी बज उठी …यह भी तो मेरा मित्र हैं !…….प्यार से मेरे कानों को पकड़ा और हमें निर्देश दिया ,” इसे सुधार लें ” ……..फिर हम यूँ लिख डाले ………….”हम पहले आपको पढ़ना चाहते हैं ,दूसरे के विचारों को बाद में देखेंगे “…..हमें लोगों से जुड़ना है …उनकी शुभकामना चाहिए !………. इति !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका