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12 Sep 2022 · 1 min read

*हमें मिले अनमोल पिता 【गीत】*

हमें मिले अनमोल पिता 【गीत】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
धन्य-धन्य सौभाग्य हमारा ,हमें मिले अनमोल पिता
(1)
आदर्शों को सदा आपने मंत्रों जैसे गाया
अनुशासन-विश्वास मनुज की पूँजी है बतलाया
खुद के बल पर ही चलने की सीख सदा सिखलाई
बना आत्मनिर्भर जीवन यों सीख काम में आई
ऊपर से थे सख्त मगर भीतर मिश्री के घोल पिता
धन्य-धन्य सौभाग्य हमारा ,हमें मिले अनमोल पिता
(2)
जीवन एक कहानी अथवा उपन्यास बन जाता
जीवन के प्रत्येक पृष्ठ का श्रम से गहरा नाता
अपना गढ़ा हुआ था जीवन संतोषी थी काया
जो चाहा संपूर्ण मिला सम्मान-मान था पाया
शुद्ध भाव सरपंच तराजू वाली जैसे तोल पिता
धन्य-धन्य सौभाग्य हमारा ,हमें मिले अनमोल पिता
(3)
बोझ उठाया घर-भर का लेकिन फिर भी मुस्काते
थके हुए अक्सर सौ-सौ चिंताएँ लेकर आते
खुशी मनाने की परिपाटी घर में सदा निभाते
दूरदृष्टि से चिंताओं को चुटकी में सुलझाते
जो कह दिया सत्य ही निकला ,वेदों के ज्यों बोल पिता
धन्य-धन्य सौभाग्य हमारा ,हमें मिले अनमोल पिता
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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