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19 Jun 2022 · 2 min read

हमारे पापा

मैं ईश्वर की बहुत बड़ी शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होनें मुझे ऐसे माँ-पापा दिए।जिन्होंने अपने सारे सपने हम बच्चों के सपनों के साथ जोड़ कर देखा । एक अच्छे इंसान, एक अच्छे मार्ग दर्शक, एक आदर्श व्यक्तिव और एक अच्छा दोस्त की छवि हम सब के सामने हमारे पापा ने रखा। जिसके कारण आज हम अच्छा इंसान बन सके है। जिस प्रकार एक कुम्हार घड़े को आकार देने के लिए के उसे बाहर से पीटता है और अंदर से हाथ देकर उसे आधार देता है ताकि घड़ा टूटकर बिखर नही जाए। ठीक उसी प्रकार हमें हमारे पापा ने ऊपर से
डॉट-फटकार कर और फिर प्यार से समझा जीवन की सीख सिखाई। हमारे सपनों के लिए उन्होने कई बार अपने सपनों को त्याग दिया। चाहे उन्हें कितनी भी मुश्किल क्यों नही उठानी पड़ी हो,पर हमारी बेहतरी के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत किया है।हर मुश्किल वक्त में हम बच्चों का मार्गदर्शन किया है। हमें अनुशासित जीवन जीने के लिए प्ररित करना और आज का काम कल पर नही छोड़ने की सीख हमारे पापा ने हमें दिया है।आज उम्र के इस पड़ाव पर भी पापा जी तोड़ मेहनत करते है।उनको मेहनत करते देख कभी-कभी हम सब दंग रह जाते है।शायद इसीलिए दुनियाँ के अपरिभाषित शब्दों में पापा को रखा गया है।जो अपने बच्चों के लिए हर कष्ट से लड़ जाता है।बच्चों पर आने वाले कष्ट को खुशी-खुशी अपने ऊपर ले लेता है।शायद इसीलिए कहा गया है की बच्चों को आसमान की बुलन्दी पर भी पहुंचाकर पिता कहाँ सकुन से बैठता है फिर भी वह बच्चों के पीछे खड़ा रहता है की कही बच्चों को चोट न लग जाए। मैं इतना ही जानती हूँ की इस जग में पापा से बढकर बच्चों के बेहतरी सोचने वाला कोई और नही हो सकता है।
बच्चों के लिए पापा से बढकर कोई तपस्वी नही,कोई मार्गदर्शक नही,कोई मेहनती नही हो सकता है।जिसने एक शिल्पकार की तरह अपना सारा जीवन बच्चों को एक सुन्दर आकार देने में लगा देता है और उसके भविष्य उज्ज्वल हो इसके लिए वह कोई कसर नही छोड़ता है।हर पिता का एक ही सपना होता है की उसका बच्चा एक प्रसिद्ध इंसान बने। मै अनामिका हर पिता के बच्चों के प्रति उनके कर्म के लिए शत-शत बार प्रणाम करती हूँ।

~अनामिका

Language: Hindi
Tag: Essay
2 Likes · 2 Comments · 377 Views
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