हमारे अंदाज और आवाज मे कोरोना
मजदूर पलायन कर रहे ।
सब शहर से अपने गाँव ।
भूखे-प्यासे कब तक रहेंगे ।
ये लॉकडाऊन धूप छाँव ।
कोरोना ना, ना,ना
कुदरत से खिलवाड़ का ।
पुरा धरा भुक्ते अंजाम ।
चीन -वुहान से फैली बीमारी ।
सबका कर रही राम नाम ।
कोरोना ना, ना, ना ।
टीका अब तक बना नही ।
सामाजिक दूरी ईलाज ।
मास्क लगाना, हाथ को धोना ।
कॉमन हो गया आज ।
कोरोना ना, ना, ना ।
बर्गर, पिज्जा बंद हुआ सब ।
कोरोना के यही काल ।
बाजार भी अपनी सूनी लगे ।
जैसे घूम रहे भूत कपाल ।
कोरोना ना, ना, ना ।
कोरोना व्यंग्यकार:- ??Rj Anand Prajapati ??