हमारी खामोशी
जीवन में कभी-कभी हमारे पास अपनी सफाई में कहने के लिए बहुत कुछ होता है लेकिन फिर भी कुछ नहीं होता, हमारे हालात और हमारी परिस्थितियां दूसरे की दृष्टि में हमारी छवि बनाने का कार्य बहुत सरलता से कर जाती है और हम मूक दर्शक बने देखने को विवश होते हैं क्योंकि हमारी खामोशी ही हमारे हालात और हमारी परिस्थितियों की डिमांड होती है जिसे हमारे सिवा कोई नहीं समझ पाता ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद