हमारी “इंटेलीजेंसी”
हमारी “इंटेलीजेंसी”
पहले वारदात होने का
इंतज़ार करती है।
बाद में एड़ी-चोटी का
ज़ोर लगा देती है ताकि
“इंटेलीजेंट” साबित हो सके।
👌प्रणय प्रभात👌
हमारी “इंटेलीजेंसी”
पहले वारदात होने का
इंतज़ार करती है।
बाद में एड़ी-चोटी का
ज़ोर लगा देती है ताकि
“इंटेलीजेंट” साबित हो सके।
👌प्रणय प्रभात👌