हमारा मान है नारी हमारी शान है नारी
हमारा मान है नारी हमारी शान है नारी।
लुटाती प्यार नित अपना वफा की खान है नारी।।
भले सीधी सरल लेकिन, बहुत उलझी हुई है वो,
धधकती आग का गोला, वनम् का प्राण है नारी।
अनेकों रूप इसके हैं,बसीं इसमें विविधताएं,
कभी ममता की’ देवी तो,कड़क फरमान है नारी।
कभी पूजी गई देवी,कभी ठोकर भी’ खाई है,
कभी अपमान सहती है, कभी सम्मान है नारी।
रही अब छू गगन को भी,नये सौपान पर बैठी,
नहीं है पांव भूतल पर,चलाती यान है नारी।।