हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
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हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
मंशाराम जी बाबाजी रहनी,
सगरे कहानी मोर बाबाजी कहनी।
रहनी पंड़ीजी बहुते ऊ ज्ञानी, ई साँच बखानी सुनी।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
कात्यायन गोत्र चउबे जी रहनी।
वंश बढाई बाबा गउवाँ बसवनी।
कइनी किरपा ई बात हम जानी, काटे सब चानी सुनी।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
गाँव के उतरऽ माई काली बिराजें,
माई लुअठहा पूरब राज राजें।
गाँव बीचहि में शंकर जी बानी, धरम राजधानी सुनीं।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
नदी अनजनवा बहेले उतरऽ में,
राखे हरिहरी ऊ गउवाँ नगर में।
भरलऽ सुखसार हर कोना -कानी, न बाटे कवनो सानी सुनी।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
मुसहरवा नाम दिहनी उहाके।
सचिन सुनावेलें बतिया ई गा के।
गाँव बीचे पोखर भर पानी, कहानी साँच मानी सुनी।
हमरे गउवाँ के अजबे कहानी, जुबानी आज हमरा सुनी।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार