==हमने यह सोचा है ==
आज हमने मन में ऐसा कुछ ठाना है
हर रूठे को मनाना है
हर रोते को हंसाना है
कुछ हंसना है कुछ हंसाना है
दिलों के फासलों को मिटाना है ।
कुछ चेहरे हैं बहुत धुंधले
जमी हो धूल दिलों में नफरतों की
गर्द को उसकी फूंक कर उड़ाना है ।
कुछ हंसना है कुछ हंसाना है
दिलों के फासलों को मिटाना है ।
कुछ चेहरे हैं बहुत उदास
पलकें हैं जिनकी कुछ भीगी-भीगी
उनकी अंखियों से गम की बूंदें चुराना है
कुछ हंसना है कुछ हंसाना है
दिलों के फासलों को मिटाना है ।
कुछ चेहरे हैं बहुत तमतमाए
दिलों में है बेचैनी,दिमाग में उग्रता
इन पर शांति की ठंडक बरसाना है
कुछ हंसना है कुछ हंसाना है
दिलों के फासलों को मिटाना है ।
–रंजना माथुर दिनांक 01/11/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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