:::#::: हमने यह सीखा फूलों से :::#:::
फूल-फूल तुम कितने प्यारे,
देख तुम्हें मन होता पुलकित।
रंग तुम्हारे हैं चटकीले,
सबको करते हैं प्रफुल्लित।
मुग्ध मगन खुश कर देती,
मधुर तुम्हारी गंध सुवासित।
उदास और दुखी मन को भी,
तुम कर देते हो प्रसन्नचित्त।
कांटों के संग-संग रहकर भी,
तुम झूमते रहते आनंदित।
हर रूप हर आकार तुम्हारा,
देख-देख मन है रोमांचित।
तुम देते हमको यह सीख,
करते हमें इस बात से शिक्षित।
सुख या दुख कोई भी हाल हो,
रहो मेरी तरह मुदित उल्लासित।
—रंजना माथुर दिनांक 23/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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