हमको लड़ना होगा—कविता— डी. के. निवातियाँ
हमको लड़ना होगा ……..
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
कब तक बहेगा रक्त वीरो का
खेल खून का अब थमना होगा
जागो यारो इस देश के प्यारो
सच्चाई को अब समझना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
हिन्दू , मुस्लिम सिख, ईसाई
धर्म से आगे हमको बढ़ना होगा
भुलाकर जात-धर्म की नीति
इंसानियत के लिए लड़ना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
आतंकवाद का कोई धर्म नही
इस बात को जहन में बिठाना होगा
दरिंदगी ये अभिशाप समाज की
इस बुराई को जड़ से मिटाना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
राजनीतिको से अब जनता त्रस्त है
व्यवस्था भी सारी अस्त- व्यस्त है
भ्र्ष्टाचार का हुआ हर और बोल बाला
इस कूतंत्र से मिलकर अब लड़ना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
बदल रहा है अब वक़्त धीरे – धीरे
नारी भी चलने लगी अब कन्धा देने
खेल, शिक्षा से लेकर हो सैनिक सेवाएं
हर क्षेत्र में उनका होसला बढ़ाना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
बहुत हुआ अपमान वीरो का,
शेरो ने जान बहुत गवाई है
हर किसान, और हर जवान को
अब देश का भार उठाना होगा!
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
अब तो न हो कोई नारी अपमानित
अब न कोई गरीब का मजाक उड़ाये
चलो,उठो अब शिक्षा का अलख जगाओ
हर एक बुराई को समाज से मिटाना होगा !
बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगा
समझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!
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@@@___डी. के. निवातियाँ ____@@@