*हटी तीन सौ सत्तर (मुक्तक)*
हटी तीन सौ सत्तर (मुक्तक)
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हटी तीन सौ सत्तर तो खुशियों से भरा नजारा है
गूँज रहा हर ओर सिर्फ भारत माँ का जयकारा है
फिर पटेल का लौह-आत्मबल प्रकटीकरण हुआ जैसे
दृश्य हैदराबाद- विजय का दिखता फिर दोबारा है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451