हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं
ख्वाबों में आने वाले ख्वाब हकीकत से रूबरू होता क्यों नहीं,
स्वप्न में ही कट जाती है रात सरल रात भर सोता क्यों नहीं ।
कर्म के पायदान पर इस तरह कच्चे खड़े हैं हम अभी ,
खुदा को यू कोसना गलत है ख्वाब पूरा होता क्यों नहीं ।।
✍कवि दीपक सरल