हंगामा है क्यों बरपा
उत्तराखण्ड की विधानसभा में आजकल जो तूफ़ान (अंदरुनी कलह) बरपा है। उससे सभी लोग हैरान थे। हमेशा शान्त रहने वाले त्रिवेन्द्र, जो अचानक मुख्यमंत्री के रूप में प्रकट हुए थे—इस राजनैतिक उठापटक में पद से चुपचाप ही विदा भी हो गए और शाम होते-होते नए मुख्यमंत्री तीरथ जी की ताज़पोशी भी हो गयी। मेरे कानों में यकायक मशहूर शा’इर अकबर अल्लाहबादी की ग़ज़ल की ये पंक्तियाँ गूँजने लगी, पाकिस्तान के सबसे मक़बूल ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली की आवाज़ में—
हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है
कहने का अर्थ यह कि देवताओं की पवित्र भूमि उत्तराँचल में जो 24 घण्टे से सियासी बवण्डर उठा हुआ था, अब वह नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगने से शान्त हो चला है। आदरणीय त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने इस्तीफे के बाद अब उत्तराखण्ड के नौवें भूतपूर्व मुख्यमंत्री हो जायेंगे और कभी पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपई जी के क़रीबी रहे आदरणीय तीरथ सिंह रावत जी अब राज्य के दसवें मुख्यमंत्री हो गए। देहरादून में आज बुधवार यानि 10 मार्च 2021 ई. को भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से नए मुख्यमंत्री का नाम सामने आया। शाम को तीरथ जी शपथ लेकर नए मुख्यमंत्री हो गए। कुल मिला के कहा जाये तो बुधवार का दिन तीरथ जी के लिए सौभाग्यशाली है। वहीं त्रिवेंद्र जी के लिए यह बुधवार ब्लैक वेडनसडे बनकर आया। विधानसभा भवन से निकलते वक़्त यक़ीनन त्रिवेंद्र जी को चचा ग़ालिब का ये शे’र याद आया होगा—
निकलना ख़ुल्द (स्वर्ग) से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले
ख़ैर उत्तराखण्डी सियासत के नए दूल्हे को सलाम। आइये नए मुख्यमंत्री तीरथ जी की उपलब्धियों पर एक नज़र डाल लेते हैं इस आलेख के माध्यम से। आदरणीय तीरथ जी का जन्म 9 अप्रैल 1964 ई. को सीरों, पट्टी असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में श्री कलम सिंह रावत जी के घर में हुआ था। यहाँ ये समरण रहे कि उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण भाजपा ने 2000 ई. में किया था तब तक समस्त पहाड़ी क्षेत्र उत्तर प्रदेश का ही भूभाग था। तीरथ जी की जीवन संगनी का नाम डॉक्टर रश्मी त्यागी रावत है। हिन्दी में प्रसिद्ध कहावत है कि, पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं। अपनी शिक्षा के समय से ही तीरथ जी हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविधालय में छात्र संघ अध्यक्ष व छात्र संघ मोर्चा (उ.प.) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। सन 1983 ई. से 1988 ई. तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक भी रहे, और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री व राष्ट्रीय मंत्री भी रहे। इसके उपरान्त वे भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी छाये रहे। ततपश्चात 1997 ई. में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए और विधान परिषद् में ‘विनिश्चय संकलन समिति’ के अध्यक्ष भी बनाये गए। तीरथ जी अटल जी के बहुत क़रीब थे। वे बताते हैं कि उन्होंने अटल जी के साथ ज़मीन पर बैठकर भोजन भी किया है।
आज मुख्यमंत्री बनने से पूर्व तीरथ सिंह रावत जी बरस 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम शिक्षा मंत्री भी चुने गए थे। इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए तत्पश्चात प्रदेश चुनाव अधिकारी तथा प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे, वर्ष 2012 में चौबटाखाल विधान सभा से विधायक निर्वाचित हुए और वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष (फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक) बने और चौबट्टाखाल से भूतपूर्व विधायक (2012-2017) भी रहे। यह भी ज्ञात रहे कि श्री तीरथ सिंह रावत जी को पौड़ी सीट से भारत के सत्रहवें लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी बनाया गया था। जिसमें भारी मतों से वे विजयी हुए थे। तीरथ जी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के श्री मनीष खंडूड़ी को 2,85,003 से अधिक मतों से हराया। जो कि एक रिकार्ड है। पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा, “वो संघ के लिए काम करते थे और आगे भी करते रहेंगे। शुरू-शुरू में उन्होंने कभी भी बी.जे.पी. में आने का विचार नहीं किया था, लेकिन भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई जी की ईमानदार और निष्पक्ष छवि से प्रेरणा पाकर वे इस मिशन में आगे बढ़ते गए। कल मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा (त्यागपत्र) देने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह जी ने ही नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह जी का नाम वर्तमान भाजपा इकाई को सुझाया था। जिसे स्वीकार करते हुए बड़ी सहजता से आदरणीय तीरथ सिंह जी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया था। जब तीरथ जी को विधायक दल का नेता चुना गया तो उन्होंने कहा था, “वो आदरणीय त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ लंबे वक्त से काम करते रहे हैं। आगे भी उनसे सहयोग और मार्गदर्शन की अपेक्षा है।”
देवभूमि उत्तराखंड में सियासत बहुत ही तेज़ी से अपना रुख बदलती रही है। दो दशक में राज्य ने यह दसवाँ मुख्यमंत्री देखा है। दुआ करते हैं कि आदरणीय तीरथ जी इस नए पद पर लम्बी, टिकाऊ और यादगार पारी खेलेंगे। आमीन। शुभ आमीन।