हँसी
बड़ी मुश्किलों से हँस पाते है लोग,
समझने लगे है लोग,
ये भी एक कला है,,
हँसना हँसाना भी एक कला है.
जो भी खुद पर हँसा,
दिवानी हो गई दुनिया उसकी.
फूल बरसे, घटा छाई,बादल गरजे,
बस ये ऋतु बेमौसमी है.
जब आई जब आई.
गई तब गई
उमंग बडी लाती है.
बड़ी मुश्किलों से हँस पाते है लोग,
समझने लगे है लोग,
ये भी एक कला है,,
हँसना हँसाना भी एक कला है.
जो भी खुद पर हँसा,
दिवानी हो गई दुनिया उसकी.
फूल बरसे, घटा छाई,बादल गरजे,
बस ये ऋतु बेमौसमी है.
जब आई जब आई.
गई तब गई
उमंग बडी लाती है.