हँसते – रोते कट गए , जीवन के सौ साल(कुंडलिया)
हँसते – रोते कट गए , जीवन के सौ साल(कुंडलिया)
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हँसते – रोते कट गए , जीवन के सौ साल
उसके बाद चला मरण , कंधे पर ले डाल
कंधे पर ले डाल , काल से रहते डरते
बीते लाखों वर्ष , रोज हैं जीते – मरते
कहते रवि कविराय ,देह को पुनि- पुनि ढोते
कठपुतली-इंसान , जी रहे हँसते – रोते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451