सफ़ेद बकरी वो भी तीन थन वाली @हास्यव्यंग व कहानी
मेरी कहानी में पात्रा नहीं पात्र है नरेन्द्रा
उसे एक तीन थन वाली सफ़ेद बकरी मिल गई.
अब क्या था.
उसने एक तडीपार को अपनी योजना समझाई,
उसे कहानी समझ आई.
फिर क्या था,
दोनों ने कमान संभाल ली,
.
एक ने इसे देश दुनिया में घूम घूमकर
ये बात लगभग सभी देशों के प्रतिनिधियों को समझाई,
बड़े बड़े पुरुस्कार
सम्मान में चीमटे फूकनी खाई,
पर बकरी तीन थन वाली खासकर सफ़ेद नहीं पाई,
.
पर मुद्दे को छोड़
तनिक भी नहीं हिले,
भरपूर समर्थन जो मिला
अपने ही देश में मिला,
बन बैठे थे चंद्रवरदाई,
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जो भी विरोध करता,
समर्थन खातिर ऐजेंसियाँ दौड़ाई,
मॉब-लिंचिंग एनकाउंटर
बन गये बड़े बड़े सौदाई,
.
आखिर किसी को बात समझ नहीं आई,
इस तीन थन वाली सफ़ेद बकरी से हमें,
आखिर मतलब क्या है महेन्द्र भाई,
तब इस देश की जनता ने ली अंगडाई.
तबतक बहुत देर हो चुकी थी,
.
सफ़ेद बकरी मिली न
तीन थन पाये,
पूर्णतया देश पूँजीवाद के चंगुल में था,
हर तरफ गरीबी, भूखे, लाचार, असहाय,
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आखिर कार लोगों ने जो अपनी जेब में
जो छुपाई थी पाई,
आखिर वही काम आई,
संगठनों ने अहम भूमिका निभाई,
उसी से सुरक्षित बहन,बेटी, औरत,माँ की लाज बच पाई.
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सफ़ेद बकरी वो भी तीन थन वाली,
वो भी मर गई.
पर जिंदा नहीं मिल पाई,
फिर सबको मालूम हुआ
इसे पाकिस्तान और कांग्रेस ने …..??
मारा हैं
वरन् हमने तो बड़ी मेहनत से पाला था,
भाईयों और बहनों…
मेरा उद्देश्य किसी व्यक्तित्व को हानि पहुंचाने का नहीं है.
फिर भी पहुंचे
यही मैं चाहता हूँँ ??✍️✍??