सफ़र की तलास
हैं जो दुश्मन , उनसे मिला आँखे न तू डर
मज़बूती से कदम बढ़ा , डर को डरा कर
सफ़र की तलाश है , मंजिल का पता कर
ढ़ल रहा हर शाम , उम्मीदों के किरण पर
मिलेंगी वो मंजिल भी, मेहनत कड़ा कर
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)
हैं जो दुश्मन , उनसे मिला आँखे न तू डर
मज़बूती से कदम बढ़ा , डर को डरा कर
सफ़र की तलाश है , मंजिल का पता कर
ढ़ल रहा हर शाम , उम्मीदों के किरण पर
मिलेंगी वो मंजिल भी, मेहनत कड़ा कर
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)