स्वेद का, हर कण बताता, है जगत ,आधार तुम से।।
#विश्व_श्रमिक_दिवस_विशेष
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खेत भी, खलिहान तुम से, और सब, व्यवहार तुम से।
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत ,आधार तुम से।
तोड़ कर, पाषाण को तुम, राह निर्मित कर रहे हो।
और श्रम, की साधना से, जग को जिह्मित कर रहे हो।
लाभ या, जयगान कह लें, है सकल, व्यापार तुम से।
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत, आधार तुम से।।
हे श्रमिक! तुम से हमारे, हर्ष का नाता पुराना।
साज के, हर वाद्य का पुष्पित तुम्हीं से हैं तराना।
कर्म से, सिंचित जगत को, है मिला, उपहार तुम से।
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत, आधार तुम से।।
मातृ-भू, के हो तनय तुम, वीरवर, हे! कर्म-योद्धा।
कर्म को, पूजा समझते, सत्य ही, तुम धर्म-योद्धा।
वेदना, से वक्ष वेधित, है मिला, सुखसार तुम से।
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत, आधार तुम से।।
भूख से, वेधित क्षुधा लेकर शिलाएँ तोड़ते हो।
सूर्य, के तुम ताप का, सामर्थ्य, से पग मोड़ते हो।
हे! धरा, सुत अन्नदाता, है जगत, आहार तुम से।
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत, आधार तुम से।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’