स्वार्थी
कौन कहता है कि
वह स्वार्थी नहीं,
मुझसे पूछो अगर
मैं कहूंगा तुमसे
संसार में रहने वाले
हर एक है स्वार्थी,
ममता के लिए अगर
माँ-बाप बनते कोई
तो कोई वारिस के लिए
संतान जन्म देते है,
धर्म या सम्मान हेतु
कोई संतान माँ-बाप की
सेवा करते है तो कोई
धन-दौलत के लिए करते है,
सम्मान के लिए कोई
गुरु बनते है तो कोई
सिर्फ व्यवसाय के लिए बनते है,
इल्म पाने के लिए कोई
शिष्य बनता है तो कोई
ऊंची स्थान प्राप्त करने के लिए,
ठीक उसी तरह पशु-पक्षी भी
एक दूसरे को मारकर जिंदा रहते है,
स्वार्थ हर जगह है जग में
स्वार्थी यहाँ हर कोई है ,
फिर क्यों हम आगबबूला
हो उठते है जब भी कोई
हमें स्वार्थी कहकर बुलाते है?