स्वाभिमान
स्वाभिमान को मारकर जीना यह न तुम स्वीकार् करो
ओरों के उपकार पर जीना, खुद पर है धिक्कार अहो।
माना परिभाषाएं स्वाभिमान की,बस शब्दों में सीमित हैं।
मूल्य संज्ञान अब स्वाभिमान का बस किस्सों में संचित है।
स्वाभिमान को तुम अपने, कभी अहंकार बनने न देना।
सम्मानों के उच्च मंच,पर स्वाभिमान को झुकने न देना।
स्वाभिमान की जागृति से, स्वावलंबी बनती नीलम
आत्म विश्वास बढ़ता खुद में और कम हो जाते सारे ग़म।
नीलम शर्मा