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30 Jun 2022 · 1 min read

💐दुर्गुणं-दुराचार: व्यसनं आदि दुष्ट: व्यक्ति: सदृश:💐

स्वस्मिन् अपवित्रता अस्ति-कामना च अभिमानं च।’यत्तदग्रे विषमिव'(गीता-18/37)-सात्विक: सुखस्य आरम्भे यः दुःख भवति।सः राजसः-तामस: सुखस्य त्यागस्य दुःख भवति यथा-‘बीड़ी-सिगरेट आदी त्यागः सुकर न।
दुर्गुणं-दुराचार: व्यसनं आदि दुष्ट: व्यक्ति: सदृश: ये बलात् आकर्षयन्ति।परं सद्गुणं-सदाचार: सज्जनं व्यक्तित्वस्य सम।अतः ते बलात् न ग्रहणं करोति।मुक्तः भवन्ति।यदा सत्संगे रसः आनन्द: आगच्छति।तदा सत्संग: न अनुपस्थित: भवति।
नामजप: च सत्संग: च-द्वयोः सत्संग: श्रेष्ठ:।जप: कीर्तनं भजनं-ध्यानं योगाभ्यास: च करणं अर्जनं कृत्वा धनवान् सदृशः भवति।संत्संग करणं धनिन: ‘गोद’इत्यस्य गच्छन्।सत्संगे मनुष्य:स्वाभाविक: शुद्ध भवति-यथा गंगायां उपस्थित: पाषाणानि स्वाभाविक: वृत्ताकार: सुंदरं भवति।

©®अभिषेक:पाराशरः:

Language: Sanskrit
1 Like · 177 Views
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