स्वयं से संकल्प
कितना मुश्किल है खुद से जीतने की लड़ाई,
स्वयं से एक संकल्प लेना,
अंतर्मन में विचारों को एकत्रित करना,
दुर्लभ हो जाता है संकल्प को पूरा करना,
एक विचार को स्थिर करना है हृदय की गहराइयों में,
जो बस जाएं अनंत के समान चिंगारी बनकर,
एक तीव्र तीक्ष्ण उज्जवल रोशनी के संग,
प्रकाशित कर दे स्वयं को ज्ञान से,
हृदय प्रकाश से भर दे ,
छोटी सी संकल्प ज्योति की लौ,
संपूर्ण मुश्किलों को निभाते हुए,
प्राप्त किया है उस जीवन की परिभाषा को,
सफल जीवन का उद्देश्य ही जीवन है,
जो कहता है अभी भी जीवित हो,
विवेक चक्षु को खोल जग जाओ अब ,
ठहरता नहीं हूँ न ही वापस आता हूंँ,
समय की धारा निरंतर बढ़ती ही है ,
इसमें लिख लो संघर्षों की गाथा जीवन की ,
अपूर्ण से पूर्ण कर लो अपना मानव संकल्प ,
निखार लो स्वयं को ,
यह जीतने का संकल्प है ,
अंतर्मन में धारण कर लो ।
✍? बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।