स्वयं का बैरी स्वयं ही क्यों है
मानव मानव का दुश्मन क्यों है ?
सरल सा जीवन दुर्लभ क्यों है ?
जाति, धर्म, संप्रदाय की उलझन में,
प्रत्येक व्यक्ति उलझा क्यों है ?
समाज में विद्रूपता का बढ़ता तांडव,
संवेदनाओं का आभाव सा क्यों है ?
सृष्टि में है, श्रेष्ठ मनुष्य जो सबसे,
नैतिकता से वह रिक्त सा क्यों है ?
हाड मांस से निर्मित मानव,
स्वयं का बैरी स्वयं ही क्यों हैं ?
डाॅ फौज़िया नसीम शाद