स्वाभाविक क्रियान्वयन
कथा कहानियां सुनो,अच्छी आयेगी,नींद.
गर आ गई समझ, फिर उड जायेगी नींद.
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भूख एक स्वाभाविक रोग है,रखती बेचैन.
चैन मिल भी गया, शादी को लेकर बेचैन.
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ग्रह नक्षत्र की चाल,स्वाभाविक सतत होती.
फिर गृहस्थी क्यों बेचैन,पानी प्यास बुझती.
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मन के मते चले कुछ होता नहीं, प्रकृति जान,
मन तुरंग, मन पवन,मन प्रकाश,मन अनजान.
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हठ किस काम की, सहज घटे सो जान.
न मैं बुरा, ना तू बुरा बुराई को पहचान.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस