#स्वप्न हुए तितलियाँ
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★ #स्वप्न हुए तितलियाँ ★
मुंदे मुंदे से नयन
जीत हार का चयन
वश में नहीं रहा
कथासार वो भी सुन
मैंने जो नहीं कहा
वचनभंग बिजलियाँ
स्वप्न हुए तितलियाँ
कुसमय की भोर है
मन अपना चोर है
सच सच वो जानता
विरहपीर से डरा
हाय नहीं पहचानता
जग उठी सिसकियाँ
स्वप्न हुए तितलियाँ
विलगे को धीर न
हिरदे को पीर न
सुप्त शमित वेदना
सहज रहा कहाँ
वेगों का चेतना
बिन मोती सिप्पियाँ
स्वप्न हुए तितलियाँ
पथ विपथ भ्रम मिटा
उजास है कि तम डटा
तन मन हैं दो जने
जो पहले थक गया
आया मेरे कने
रंगहीन रंगरलियाँ
स्वप्न हुए तितलियाँ
नींद नयन दो सखा
मिलनरस नहीं चखा
सुलग रही आस है
मृत्यु राह में अभी
विवशता की सांस है
बीच सहन भित्तियाँ
स्वप्न हुए तितलियाँ
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२