स्वतंत्र है फितरती सफ़र
धार्मिकता एक तर्ज,
भूल गये सब *फर्ज,
खुद पर ही चढे कर्ज,
खोजते रहे अब मर्ज,
पैदा करने होंगे *तर्क.
बहुत होगा इनसे फर्क,
झड जायेगा बहुत गर्द,
तब जाकर बनोगे मर्द,
झूठ के बुनियादी फर्श,
चढे आसमान पे अर्श.
ऐसे नहीं उतरते *कर्ज.
छोड़ सब खुसर-फुसर.
करके देख होगा असर.
मुक्त है मोक्ष सा असर.
स्वतंत्र है फितरती सफर.