Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2024 · 1 min read

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ दोहे …..

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ दोहे …..

सीमा पर छलनी हुए, भारत के जो वीर ।
याद करें उनको जरा, भर आँखों में नीर ।।

रक्त लिप्त कुर्बानियां ,मिटने के उन्माद ।
फाँसी चढ़ कर दे गए, हमें वतन आजाद ।।

आजादी की जंग के, वीर रहेंगे याद ।
उन वीरों के स्वप्न का, ध्वज करता अनुवाद ।।

केसरिया तो रंग है, साहस की पहचान ।
श्वेत शान्ति का दूत है, हरा धरा की शान ।।

रंग तिरंगे के बने, भारत की पहचान ।
घर-घर नारा गूँजता, मेरा देश महान ।।

आज तिरंगे का चला , घर – घर में अभियान ।
बच्चा- बच्चा बोलता, जय -जय हिन्दुस्तान ।।

कहीं खुशी के दौर में, ये मत जाना भूल ।
जाने किस- किस वीर की , कुर्बानी है मूल ।।

सुशील सरना / 15-8-24

34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
जाने कितने चढ़ गए, फाँसी माँ के लाल ।
sushil sarna
बुढ़ादेव तुम्हें नमो-नमो
बुढ़ादेव तुम्हें नमो-नमो
नेताम आर सी
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
Anand Kumar
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
Basant Bhagawan Roy
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
Mukesh Kumar Sonkar
शतरंज
शतरंज
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सीपी में रेत के भावुक कणों ने प्रवेश किया
सीपी में रेत के भावुक कणों ने प्रवेश किया
ruby kumari
"ज्ञान रूपी आलपिनो की तलाश के लिए चूक रूपी एक ही चुम्बक काफ़ी
*प्रणय प्रभात*
कलम और रोशनाई की यादें
कलम और रोशनाई की यादें
VINOD CHAUHAN
दगा और बफा़
दगा और बफा़
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
ग़ज़ल _ रूठते हो तुम दिखाने के लिये !
ग़ज़ल _ रूठते हो तुम दिखाने के लिये !
Neelofar Khan
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
World News
.
.
Ragini Kumari
"माटी-तिहार"
Dr. Kishan tandon kranti
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
* सुखम् दुखम *
* सुखम् दुखम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4163.💐 *पूर्णिका* 💐
4163.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
Rituraj shivem verma
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Sangeeta Beniwal
ज़िंदगी है,
ज़िंदगी है,
पूर्वार्थ
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज
सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
Atul "Krishn"
Opportunity definitely knocks but do not know at what point
Opportunity definitely knocks but do not know at what point
Piyush Goel
Loading...