स्वच्छता
स्वच्छता (डमरू वर्ण पिरामिड)
प्रिय भावों का सार
स्वच्छता कायम
मन निर्मल
बन जाये
शुभ का
आना
हो
हो
उर
कानन
सदा दिव्य
पावनता हो
अविरल धारा
प्रेम समन्दर हो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
स्वच्छता (डमरू वर्ण पिरामिड)
प्रिय भावों का सार
स्वच्छता कायम
मन निर्मल
बन जाये
शुभ का
आना
हो
हो
उर
कानन
सदा दिव्य
पावनता हो
अविरल धारा
प्रेम समन्दर हो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।