स्पंदन….
स्पंदन….
झुकी नज़र रक्ताभ अधर
…हुए अंतर्मन के भाव प्रखर
……घोर तिमिर में स्पर्श तुम्हारे
…………स्वप्न स्पंदन सब गए निखर
सुशील सरना
स्पंदन….
झुकी नज़र रक्ताभ अधर
…हुए अंतर्मन के भाव प्रखर
……घोर तिमिर में स्पर्श तुम्हारे
…………स्वप्न स्पंदन सब गए निखर
सुशील सरना