स्त्री
स्त्री को नियंत्रित
रखने को
एक जाल बुना
जाता है
स्त्री के लिए ही
मर्यादा का
हर शब्द गढ़ा
जाता है
सम्मानीय, पूजनीय
उसे देवी भी कहा
जाता है
स्त्रीत्व पे उसके प्रायः..
हर दोष मढ़ा जाता है
स्त्री के अस्तित्व को
स्वीकारा कहां
जाता है स्त्री के जन्म को
अब भी
अभिशाप
कहा जाता है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद