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21 Feb 2022 · 1 min read

स्त्री-पुरुष

स्त्री को मोहक स्वरूप
पुरुष मोहित है वरदान
आचार विचार वेशभूषा
अन्तर रखे वर्ग की शान

स्त्रियां भी होती मोहित
मुखर नही जितना पुरूष
धैर्य संयम लाज किंचित
असंयमित बेकल पुरूष

विपरीत लिंग आकर्षण
प्रकृति करने को सृजन
स्त्री दासी भाव – युक्त
पुरुषस्वामी अनादिअनंत

पहल करता पुरुष वर्ग
शब्दप्रयोग औ हावभाव
रुचि इनकी रखती माने
नयनों से होता प्रेम स्राव

संबंध बने मर्यादित रहे
विवाह संस्था की संरचना
भावी पीढी विकासवान
चलती रहे प्रभु की रचना

मत विकृत करो स्वरूप
मनु – सतरूपा की संतान
स्वच्छंदता अमर्यादित न हो
मनुष्य पशु मे भेद नितान्त

स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 164 Views
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