स्तुति
वाणी माई शारदा जी, बुद्धि परदान करीं,
चरन में शरन दीं मां, नमन स्वीकारीं जी,
ज्ञान दीहीं दिप्त करी, हियरा आनंद भरीं,
नाशि ना कुबुद्धिया के,, हमरा के तारी जी।
पाहन पाषाण बानी, ज्ञान हीन खार बानी,
मानस में ज्ञान भरीं, चित्त के निखारी जी,
ज्ञान हीन मान हीन , तंत्र मंत्र से बिहिन,
बालक निरीह मान, नेह छोह वारीं जी।
सुघर विचार रहे, सुनर व्यवहार रहे,
पुत माई रउरे ना, तनिका बिसारी जी,
विनती के ध्यान करी, उर में उजास भरीं,
बुद्धि के विकास क के, भव से उतारीं जी।
चरन के दास बानी, तबो हम उदास बानी,
भक्ति परदान करीं, जीवन सवारीं जी,
बहु दुख दूर करीं, गरब के चूर करीं,
जात रूप विमला मां, हियरा बिराजीं जी।
✍️संजीव शुक्ल ‘सचिन’