स्क्रीन के पीछे की दुनिया
स्क्रीन के पीछे की दुनिया अर्थात एक वास्तविक दुनिया और स्क्रीन के आगे की दुनिया अर्थात दिखावटी दुनिया इनके बीच जमीन आसमान का फर्क होता है । कलाकार हो या कलमकार दोनों का जीवन कांटो से भरा होता है । कदम कदम पर नित नवे नवे उतार चढ़ाव, एवं चुनौतियों से लड़ना पड़ता है ।
इस संकल्पना को समझने के लिए आप राजकपूर द्वारा निर्देशित एवं अभिनीत फिल्म “मेरा नाम जोकर” को ही ले लीजिए जिसमे जीवन के समस्त पहलुओं को समझाया गया है तथा एक कलाकार की अदाकारी के पीछे छिपे अंदरूनी दर्द को छिपाकर मंच से लोगो को किस प्रकार मनोरंजित किया जाता है दिखाया गया है ।
चार्ली चैप्लिन जिसे हम सबसे हंसमुख अभिनेता के रूप में जानते है बचपन से ही हँसी और खुशी उनसे छिन गई थी । लेकिन इन्होंने इस पीड़ा को ही अपना हथियार बना लिया और प्रण लिया कि अब से वह सभी बच्चो के मुखों पर हँसी लाएगा ।
अंत मे हम बात करते है पिछले दो सदियों से अपनी अनोखी अदाकारी से हमे हंसाने वाले, अपनी मासूम सी बातों से हमे रुलाने वाले । जी हाँ ! मैं बात कर रहा हु बॉलीवुड के अधिकतर फिल्मों में बतौर कॉमेडियन काम कर चुके “जॉन प्रकाश राव जानुमाला” जिसे हम “जॉनी लीवर” के नाम से जानते है । एक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्टतः कहा है कि –
“मैं लोगो को हँसाता हु, लेकिन हँसी मुझसे कोसो दूर है । दौलत, शोहरत, नाम, इज्जत इत्यादि होने से भी यदि आपके मन मे शांति नही है तो इन सब चीजों का कोई मतलब नही ।” वे इतने बड़े स्टार होने के बावजूद भी अपने इकलौते बेटे के गले की नसों के बीच हुए ट्यूमर को लेकर बहुत चिंता में घिरे हुए थे । लगभग दो साल तक वे इसी उधेड़बुन में लगे रहे । बड़े बड़े चिकित्सको, बाबाओ, साधुओं के पास लेकर गए पर सबने मना कर दिया । अंत मे बेटे का इलाज ऑपरेशन से ठीक हुआ और जोनी लिवर जी उस नरक जैसे हालात से वापस आये ।
अंततोगत्वा पर्दे के आगे जो हम देखते है । जरूरी नही की वो हु ब हु असल जिंदगी में भी वैसा का वैसा ही हो ।
© गोविन्द उईके