सौदा
समंदर से मिलने जब नदी किनारे पहुंची।
समंदर ने कहा ठहर ज़रा मिलने से पहले।।
अब मैं सौदा करता हूँ गर मिलना है मुझसे।
मिलन का कर्ज अदा कर मिलने से पहले।।
नदी ने बड़े अदब से समंदर से यूँ कहा।
सौदे बाज़ी न कर मैं मीठी हूँ तू खारा है।।
शौक नही मुझे अपना अस्तित्व खोने का।
समा कर तुझमें मेरा जल हो जाता खारा है।।
सदियों से अदा करती आ रही हूँ कर्ज़ तेरा।
अस्तित्व मेरा खोकर जो किनारे तक का है।।
कोशिश मेरी हर पल है तुझे मीठा कर दूं।
अहंकार भरा है तुझमे इसलिए तू खारा है।।
वीर कुमार जैन
28 जुलाई 2021