सौदागर सपनों का…
… सौदागर सपनों का…
रात नींद में आया मेरीे एक सौदागर सपनों का
कितने ख्वाब दिखा गया मुझको वो सौदागर सपनों का
मैंने पूछा- मोल है क्या ?
वह बोला- कोई मोल नहीं
जितना जी चाहे देखो इन्हें
कोई हिसाब कोई तोल नहीं
भर गया आँखों में सपने अनगिन वो सौदागर सपनों का
रात नींद में आया मेरीे………………………………..
बोला- ‘यूँ शरमाओ ना
जरा पास तो मेरे आओ ना
छूकर मन-आँखों से अपनी
तासीर तो इनकी बताओ ना’
भोली अदा से लुभा गया मुझको वो सौदागर सपनों का
रात नींद में आया मेरीे………………………………..
चाँद- सा उजला उसका रूप
आ रही थी छनकर मीठी धूप
थिरकता मुख पर मृदुल हास
किरनें करती थीं अद्भुत लास
स्नेह-डोर से बाँध गया मुझको वो सौदागर सपनों का
रात नींद में आया मेरी एक सौदागर सपनों का
अनगिन ख्वाब दिखा गया मुझको वो सौदागर सपनों का
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र)
“मृगतृषा” से