सोने-चाँदी से न तोल सनम…
सोने- चाँदी से न तोल सनम….
सोने- चाँदी से न तोल सनम !
प्यार होता है अनमोल सनम !
प्यार में सौदा, तौबा रे तौबा !
प्यार में शर्तें, तौबा रे तौबा !
ऐसी बातें तो न बोल सनम !
प्यार होता है अनमोल सनम !
तोड़ के सारी प्यार की रस्में,
साथ निभाने की सब कसमें,
जीवन में विष न घोल सनम !
प्यार होता है अनमोल सनम !
प्यार है पूजा, प्यार है इबादत,
समझ न इसको, कोई तिजारत,
चलता न यहाँ कोई झोल सनम !
प्यार होता है, अनमोल सनम !
इस राह चलना आसान नहीं,
कायर का यहाँ पर मान नहीं,
खुलती है कभी तो पोल सनम !
प्यार होता है, अनमोल सनम !
बड़े – बड़े नाज़ों से पाले,
ऊँचें महलों में रहने वाले,
बिक जाते यहाँ बेमोल सनम !
प्यार होता है अनमोल सनम !
सोने-चाँदी से न तोल सनम…
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“काव्यधारा” से