सोना छत पर अब कहॉं,पानी का छिड़काव (कुंडलिया )
सोना छत पर अब कहॉं,पानी का छिड़काव (कुंडलिया )
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सोना छत पर अब कहॉं,पानी का छिड़काव
तारे गिनने का रहा, किसको है अब चाव
किसको है अब चाव, कहॉं अब मच्छरदानी
कब चिड़ियों के साथ,भोर की अब अगवानी
कहते रवि कविराय, पुरातन का क्या रोना
एसी जिंदाबाद, बंद कमरे में सोना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451